हम स्कूल में पढ़ते हैं तब हमें एक नैतिक शिक्षा की किताब लगती थी उसमें जीवन में काम आने वाली शिक्षाप्रद बातें होती थी। ऐसे ही हिंदी इंग्लिश की किताब में भी ज्ञानवर्धक कहानियां ,कविताएं होती है हम पढ़ उनको केवल पढते हैं जीवन में अमल में नहीं लाते ।
कई लोग धार्मिक पुस्तकें पढ़ते हैं उनको कंठस्थ कर लेते हैं। फिर ऐसे सोचते हैं कि मैं ज्ञानी हो गया हूं यानी अहंकार आ जाता है ये लोग इसे अपनी कमाई का साधन बना लेते हैं , उन बातों को अपने जीवन में नहीं उतारते ।
एक रेडीमेड गुलाब का फूल होता है वह ऊपर से अच्छा दिखता है उसकी कीमत देकर हम उसे खरीद लेते हैं लेकिन उसमें जो सुगंध होती है जो हमें आनंदित करती है वह नहीं होती और कभी आ भी नहीं सकती
एक बार एक गांव में एक महात्मा आए ।वे प्रवचन सुनाते थे गांव के लोग उनके प्रवचन सुनने जाते थे उन लोगों में एक आदमी चार-पांच दिन गया और फिर उसने जाना छोड़ दिया ।उसने गांव के लोगों को भी कहा कि यह हर रोज एक जैसी बातें बोलता है आप क्यों जाते हो। फिर कई दिन बाद वहां एक और युवा सन्यासी आया । गांव वालों ने दोनों का रहने का प्रबंध एक साथ ही कर दिया।वह आदमी उस युवा सन्यासी को भी सुनने गया। वह सन्यासी बहुत गहरी ज्ञान की बातें बता रहा था उस आदमी ने सोचा कि असली सन्यासी तो यह है। युवा सन्यासी वृद्ध सन्यासी के पास गया और कहा कि मेरी कथा का तुमने क्या परिणाम निकाला। उस वृद्ध सन्यासी ने कहा कि तुम तो एक शब्द भी नहीं बोले मैं क्या बताऊं। युवा सन्यासी क्रोधित हो गया और ऐसा कहने का कारण पूछा तो उस वृद्ध ने कहा कि तुमने जो शास्त्रों में लिखा हुआ है वह सुनाया है जोकि रटा हुआ है जो अभ्यास से कोई भी सीख सकता है।युवा सन्यासी उसके चरणों में गिर गया। इसलिए कोई भी चीज को मानना जरूरी नहीं है जानना जरूरी होता है।
बहुत से लोग पुरानी बातों में उलझे रहते हैं कि जब घर से बाहर जाए तब टोकना नहीं चाहिए, झाड़ू खड़ी मत करो।ऐसी बहुत सी बातें जो लोग मानते हैं लेकिन उनके पीछे का कारण किसी को पता नहीं।
एक शिकारी हर रोज जंगल में जाताथा।वह अपना जाल बिछाता उसमें तोतों को फंसाता और बाजार में बेच आताथा। यह उसका रोजगार था एक दिन सभी तोते अपने बचाव के लिए एक साधु के पास उपाय पूछने गए ।साधु ने कहा कि जब शिकारी आए तो आप एक साथ बोलनाः’ शिकारी आएगा जाल बिछाएगा फंसना मत ।’अगले दिन जब शिकारी जंगल में गया सभी तोतों ने बोलना शुरू कर दिया कि शिकारी आएगा जाल बिछाएगा फंसना मत।’ शिकारी वापिस चला गया ।ऐसे ही वह हर रोज जंगल में जाता लेकिन तोतों की बात सुनकर घर वापस चला जाता ।अब वह भी परेशान होकर एक महात्मा के पास गया महात्मा को उसने अपनी परेशानी बताई तब महात्मा ने उसे कहा कि तोते चाहे कुछ भी बोले तुम अपना काम करना। अगले दिन वह शिकारी जंगल में गया और अपना जाल बिछाया तोते वही शब्द रट रहे थे फिर भी वह जाल पर आ गए और उसमें फंस गए। शिकारी हैरान हुआ वह साधु के पास गया और इसका कारण पूछा तब साधु ने कहा कि तोते ऊपर से रटते हैं वे दूसरों से बोलना सीख लेते हैं लेकिन वे बातेंअपने जीवन में नहीं उतारते ।
ऐसे ही हमारा आंतरिक ज्ञान होता है ,हम जिस में खुद को जानते हैं समझते हैं और फिर अवलोकन करते हैं कि क्या सही है वही वास्तविक ज्ञान होता है।
धन्यवाद।
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