सीखना

सीखना

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सीखने की प्रक्रिया जन्म से लेकर मृत्यु तक चलने वाली प्रक्रिया है जब बच्चा जन्म लेता है ,तो बैठना, खड़े होना, और बोलना सीखता है जो एक शारीरिक प्रक्रिया हैl बड़े होने पर वह परिवार से, समाज से सीखता है जो व्यवहारिक होता है।

मनुष्य जब सीखता रहता है तो वह लाभ की तरफ बढता है लेकिन अगर वह सीखना बंद कर देता है ,और सोचता है कि मुझे सब कुछ पता है तो वह नुकसान की ओर बढ़ने लग जाता है ।हम जीवन की हर अच्छी, बुरी परिस्थितियों से सीखते हैं ।

एक मूर्तिकार था वह सुंदर मूर्तियां बनाता था ।उसका बेटा भी अपने पिता के साथ रहते मूर्ति बनाना सीख गया ।वहअपने पिता से भी अच्छी मूर्तियां बनाता था , और उसकी मूर्तियां बहुत महंगे दामों पर बिकती थी l जब भी वह लड़का मूर्ति बनाता तो अपने पिता से उस मूर्ति के बारे में जरूर पूछता कि कोई कमी है तो बता दो उसका पिता उसकी मूर्ति में कोई न कोई कमी निकाल देता था। फिर उसका बेटा उस कमी में सुधार करता था। एक दिन उस लड़के ने सोचा कि मेरी मूर्ति मेरे पिताजी की मूर्तियों से महंगी बिकती है इसका मतलब मैं अच्छी मूर्तियां बना लेता हूं तो उसमें कमी नहीं हो सकती और उसने अपने पिता से पूछना बंद कर दिया l वह रोज मूर्तियां बनाता और बाजार में बेचकर आ जाता ,पर कुछ ही दिनों में उसने देखा कि उसकी मूर्तियों के दाम पहले से कम हो गए हैं वह परेशान हो गया। कुछ दिन तो ऐसे ही चलता रहा। पर एक दिन वह अपने पिताजी के पास गया और मूर्तियों के दाम कम होने का कारण पूछा तो उसके पिताजी ने कहा कि तुम अपने काम से संतुष्ट हो गए हो तुमने सीखना बंद कर दिया है l इसलिए दाम कम हो गए हैं ।मैंने भी एक दिन तुम्हारे जैसी गलती की थी तभी मेरी मूर्तियों के दाम इतने नही मिलते l

इस कहानी से हम सीख सकते हैं कि अगर हम यह सोच लेते हैं कि मैं ज्ञानी हो गया हूं अब मुझे कोई नहीं सिखा सकता। तब हमारा पतन होना शुरू हो जाता है l

सीखने की कोई उम्र नहीं होती जिंदगी हमें रोज नए कुछ नया सिखाती है l सीखने मैं हमेशा एक गुंजाइश रहनी चाहिए, यही हमें जिंदगी में आगे बढ़ने में बहुत मदद करती है l अगर आप भी कुछ नया सीखना चाहते हैं ,तो आप भी Online Counsellor बन सकते हैं l

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