अतीत को भुलाना

अतीत को भुलाना

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हर इंसान का अतीत होता है। अतीत यादों का भंडार है, जो बीत गया है जिसे वापस नहीं लाया जा सकता, वह चाहे खुशियों का अतीत हो या दुखों का। इसमें कोई बदला हट नहीं की जा सकती। कई बार अतीत में गलतियां हो जाती है बहुत बुरी स्थिति से गुजर ना पड़ता है जैसे घर में किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसका जो बहुत करीबी होता है वह सदमे में डूब जाता है और उसकी यादों को बार-बार याद करके दुखी होता हैफिर उसकी भी बहुत ही जल्दी मृत्यु हो जाती है ।जब मैं स्कूल में पढ़ाती थी तो एक बच्चा अक्सर कहता था कि मैं पहले कक्षा में प्रथम आता था लेकिन अब बड़ी मुश्किल से पास होता था ऐसी बीती बात को याद करके खुश होने से कुछ नहीं मिलने वाला और दूसरी तरफ एक बच्चा जो पढ़ाई में ठीक नहीं होता लेकिन बाद में कक्षा में अव्वल आता है इसलिए अच्छा अतीत हो या बुरा दोनों को दोहराने से कोई लाभ नहीं मिलने वाला। इससे दो तरह का पश्चाताप होता है एक तो यह कि उस अतीत पर जीवन भर रोते रहना और सोचना कि मेरी स्थिति ठीक होती तो मैं आज कामयाब होता। पर इस तरह से वह अपना वर्तमान भी ऐसे ही बिताना चाहते हैं जो दूध बिखर गया उसको इकट्ठा करने से कोई लाभ नहीं होने वाला अगर इकट्ठा कर भी लिया तो कोई काम नहीं आएगा ।दूसरा पश्चाताप ,अतीत से सीख लेकर जीवन में आगे बढ़ना अतीत से एक सबक लेकर कामयाबी के लिए आगे कदम बढ़ाना । इस तरह उस बुरे अतीत की गई गलतियों को मिटाया जा सकता है नहीं तो वर्तमान और भविष्य भी एक दिन वैसा ही बन जाएगा l

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